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Share Market क्या है और Share Market से पैसे कैसे कमाए

लेखक: Md Shehzad AlamIn: क्या है ?, पैसे कैसे कमाएLeave a Comment

अगर आप जानना चाहते हैं कि शेयर मार्केट क्या है?, तो आज का आर्टिकल स्पेशल आपके लिए ही है, इस आर्टिकल में मैं आपको बताऊंगा कि Share market kya hai? आईपीओ क्या है? और Share market se paise kasie kamaye इसी के साथ साथ इससे जुड़ी बहुत सारी ऐसी बातें बताऊंगा 

जिनको जानकर आप शेयर मार्केट की दुनिया में अपना पहला कदम रख पाएंगे और साथ में आपको अनगिनत ऐसी शिक्षाएं दूंगा जिनसे कि आप शेयर मार्केट में दबाकर पैसा बना पाएंगे तो चलिए दोस्तों करते हैं आर्टिकल शुरू और देख लेते हैं कि शेयर बाजार क्या होता है।

दोस्तों हाल ही की एक web series "Scam 1992" बहुत मशहूर हुई थी, इस web series का एक मशहूर डायलॉग है कि “शेयर मार्केट वह कुआँ है, जो पूरे देश की पैसे की प्यास बुझा सकता है।” 

अनुक्रम

  • Share Market kya hai?
  • History of Share Market
  • Stock Exchange Kya Hai?
  • 1.Primary Market
  • 2.Secondary Market
  • 3.Sensex or Nifty Kya Hai?
  • Share Market Chart क्या है और कैसे समझें?
  • Open Price
  • Previous Close Price क्या है
  • High or Today High क्या है
  • 52 Week High & 52 Week Low क्या है
  • Share market se paise kaise kamaye
  • ट्रेडिंग कैसे करे? Trading se Paise Kaise Kamaye
  • Short Selling क्या है?
  • Dividend से पैसे कैसे कमाए?
  • निष्कर्ष

Share Market kya hai?

share market kya hai

कई लोगों को आज भी लगता है कि शेयर मार्केट एक फ्रॉड है, या एक जाल है जिसमें लोग फंसकर अपना पैसा गवा देते हैं, लेकिन दोस्तों ऐसा बिल्कुल नहीं है, शेयर मार्केट कोई जुआ या सट्टा नहीं है, सट्टेबाजी और शेयर बाजार में बहुत ज्यादा अंतर है।

सट्टा या जुआ खेलते वक्त इंसान अंधेरे में तीर चलाता है लेकिन शेयर मार्केट एक ऐसा प्लेटफार्म है जहां सही समझ वाला आदमी शून्य से शुरुआत करके करोड़पति तक बन सकता है, और इससे भी आगे मैं यह बात कोई हवा हवाई में नहीं कह रहा।

कुछ जीते जागते उदाहरण हमारे सामने हैं, आप भारत के राकेश झुनझुनवाला को ही देख लीजिए या वारेन बुफेट से कुछ सीख लीजिए वह दुनिया के सबसे बड़े शेर मर्केटर माने जाते हैं, और राकेश झुनझुनवाला को भारत का वारेन बुफेट भी माना जाता है, वह बहुत छोटी उम्र में करोड़पति हो गए थे।

दोस्तों अगर आपको शेयर मार्केट आसान रूप से समझाने की कोशिश करूं तो मान लीजिए कि आप किसी कंपनी के शेयर खरीदे हैं, तो इसका मतलब है कि आप उस कंपनी में कुछ हिस्सा खरीद रहे हैं।

जब-जब कंपनियों को पैसे की जरूरत होती है तो वह शेयर मार्केट में आईपीओ निकालती है आईपीओ का मतलब इनिशियल पब्लिक आफरिंग होती है, इसको आगे हम विस्तार से बताएंगे जब कंपनी IPO निकालती है तो उसके बाद उसकी लिस्टिंग शेयर मार्केट में हो जाती है।

हर कंपनी के शेयर का अलग-अलग प्राइस होता है, मान लीजिए एयरटेल कंपनी के 1 शेयर का प्राइस ₹100 है, और आप हजार रुपए के 10 शेयर खरीद लेते हैं, 

तो आप एयरटेल कंपनी में 10 Shares के मालिक हो गए कल को अगर एयरटेल कंपनी के 1 शेयर का प्राइस ₹200 होता है, तो अगर आप खरीदे हुए 10 Shares को बेचना चाहेंगे तो उनका मूल्य ₹2000 मिलेगा यानी कि आपका पैसा डबल।

कई मामलों में यह कम भी हो सकता है, मान लीजिए अगर एक शेयर का प्राइस ₹50 ही रह जाए तो आपके पास वाले 10 शेयर ₹500 के हो जाएंगे।

आइए अब जान लेते हैं कि किसी शेयर का प्राइस उपर नीचे कैसे होता है और शेयर मार्केट की शुरुआत कहां से हुई।

History of Share Market

लगभग सत्र में शताब्दी में डच ईस्ट इंडिया कंपनी थी जिसे आज नीदरलैंड देश कहा जाता है, उस समय तक देश एक दूसरे से इतने कनेक्टेड नहीं थे जितने आज हैं उस समय तक कई देशों की तो खोज भी नहीं हुई थी

तो नई दुनिया की खोज करने के लिए डच ईस्ट इंडिया कंपनी से समुंद्री जहाजें अनंत समुंदर में जाती थी, जब उन्हें कोई नया देश मिलता था तो इसका मतलब है कि नए देश के साथ उन्हें खजाना मिलेगा और पैसा कमाने की नई अपॉर्चुनिटी मिलेगी।

लेकिन यहां रिस्क भी बहुत ज्यादा था, क्योंकि जहाजों के वापस आने का चांस बहुत कम होता था, और खर्चा भी बहुत अधिक हो जाता था, कई बार जहाजों को लुटेरे लूट लेते थे, तो कई बार यात्री नई दुनिया में ही रह जाते थे।

नए देश को ही नई  दुनिया का दर्जा दिया जाता था, क्योंकि उस समय तक जब कोई नया देश मिलता था वहां पर नई संस्कृति और नई भाषा देखने को मिलती थी जो उनसे बिल्कुल अलग-थलग होती थी, इसी लिए उसके लिए तो नई दुनिया जैसा ही हुआ न।

जब कोई नई कंपनी अपने जहाज को अनंत समुंदर में नई दुनिया की खोज के लिए भेजती थी तो उसे बहुत ज्यादा पैसे की जरूरत होती थी, लेकिन इतना पैसा किसी एक कंपनी के पास नहीं होता था, इसीलिए बहुत से लोग इसमें पार्टनरशिप करते थे। 

इसकी कंडीशन यह रहती थी कि जब जहाज लौट कर वापस आएगी तो उन लोगों को भी खजाने में से कुछ हिस्सा दिया जाएगा जिन्होंने जहाज पर पैसे लगाए थे।

जैसा कि हमने आपको शुरुआत में बताया जहाजों के वापस लौटने का चांस बहुत कम होता था, इसलिए लोगों का पैसा बहुत ज्यादा डूबने लगा लोग रिस्क नहीं लेना चाहते थे, इसलिए रिस्क को कम से कम करने के लिए लोग अलग-अलग जहाजों में पैसा लगाने लगे,

जैसे कि अगर किसी के पास सोने की हजार सर्फ़िया होती उन हजारों को एक जहाज पर लगाने की बजाय सौ-सौ करके 10 जहाजों पर लगाते थे, ताकि कोई एक तो वापस लौट कर आएगी तो उनको अच्छी आमदनी हो जाएगी और रिस्क भी कम से कम रहेगा।

यह तरीका उस समय बहुत ज्यादा सफल रहा था, आपने हिस्ट्री की किताबों में पढ़ा होगा कि किस तरह से डच ईस्ट इंडिया कंपनी बहुत ज्यादा अमीर हो गई थी,।

National stock exchange and Bombay stock exchange

उसके अमीर होने के पीछे शेयर मार्केट का बहुत बड़ा हाथ था, आज लगभग हर एक देश में शेयर एक्सचेंज होते हैं, जैसे भारत देश में दो एक्सचेंज सेंटर है, एक बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE )और दूसरा नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE)

Stock Exchange Kya Hai?

stock exchange kya hai

दोस्तों स्टॉक एक्सचेंज वह जगह होती है जहां पर शेयर खरीदे और बेचे जाते हैं, किसी भी देश के शेयर मार्केट का सारा कार्यभार स्टॉक एक्सचेंज के पास ही होता है।

स्टॉक एक्सचेंज किसी कंपनी और आम नागरिक या किसी दूसरी कंपनी के बीच की एक कड़ी है, बेसिकली दो प्रकार की मार्केट होती है एक Primary Market & Secondary Market चलिए इन दोनों के बारे में भी विस्तार से बात कर लेते हैं।

1.Primary Market

दोस्तों अगर प्राइमरी मार्केट की बात की जाए तो प्राइमरी मार्केट है वह मार्केट है जहां पर लोग सीधे कंपनी से शेयर खरीदते हैं कंपनी जब अपनी लिस्टिंग शेयर मार्केट में करवाती है, तो उसे आईपीओ कहा जाता है।

आईपीओ यानी कि इनिशियल पब्लिक आफरिंग इसके तहत कंपनी मार्केट में अपना पहला कदम रखती है, जब कोई कंपनी अपना आईपीओ लेकर आने वाली होती है, तो उससे 15 दिन पहले से रजिस्ट्रेशन शुरू हो जाते हैं, और लॉटरी के जैसे ही 1 तरीके से लोगों में शेयर अलॉट कर दिया जाते हैं।

हालांकि इसके पैसे भी लगते हैं जो कि 15 दिन पहले ही डिडक्ट कर लिए जाते हैं, इसे आप शेयर मार्केट का एक फ़ीचर भी कह सकते हैं, लेकिन मुख्य रूप से अगर प्राइमरी मार्केट की बात करें तो प्रायमरी मार्केट का मतलब है कि जहां से कंपनी से लोग शेयर खरीदते हैं, यह कंपनी पर डिपेंड करता है कि वह अपने शेयर का प्राइस क्या रखेगी।

मान लीजिए अगर किसी कंपनी की असली कीमत ₹100,000 है, तो वह चाहे तो एक ₹1-1  के 100000 शेयर अलॉट कर सकती है या 10 ₹10 के 10,000 शेयर भी अलॉट किए जा सकते हैं, लेकिन कोई भी कंपनी अपने आप को पूरी तरह से शेयर मार्केट में न्योछावर नहीं करती है, 

क्योंकि एक साधारण सा रूल है कि जिस कंपनी में 50 परसेंट से ज्यादा शेयर जिसके पास रहेंगे वही उस कंपनी के रूल एंड रेगुलेशन चलाएगा आसान शब्दों में कहें तो जिसके पास कंपनी की 50% से ज्यादा शेयर हैं, वही असली मालिक होगा इसलिए कंपनियां 30 से 40 परसेंट तक ही शेयर मार्केट में शेयर निकालती है।

2.Secondary Market

दोस्तों शेयर मार्केट की सेकेंडरी मार्केट में ही असली ट्रेडिंग होती है जब कंपनियां आईपीओ निकालने के बाद शेयर अलॉट कर देती है और लोग शेयर खरीद लेते हैं और उसके बाद अगर लोगों के द्वारा शेयर बेचे जाते हैं, 

तो वह कोई दूसरा बंदा खरीदता है यानी कि सेकेंडरी मार्केट में शेयर लोगों के पास ही एक दूसरे के पास घूमते रहते हैं, और इसी से शेयर का प्राइस ऊपर नीचे होता रहता है, 

अभी आप सोच रहे होंगे कि आखिर इस से शेयर का प्राइस ऊपर नीचे कैसे हो सकता है देखिये आसान भाषा में समझाएं तो किसी भी चीज का प्राइस उसके डिमांड और सप्लाई पर आधारित रहता है, 

लेकिन शेयर मार्केट में डिमांड को अधिक महत्व दिया जाता है, अगर किसी शेयर की डिमांड बढ़ती है तो प्राइस बढ़ेगा और डिमांड घटती है तो प्राइस घटेगा।

3.Sensex or Nifty Kya Hai?

दोस्तों जब आप सुबह अखबार खोलेंगे तो फ्रंट पेज पर ही आपको सेंसेक्स और निफ्टी का फिगर मिल जाएगा अब जान लेते हैं कि यह सेंसेक्स और निफ्टी क्या है 

अगर आसान भाषा में समझाऊं तो सेंसेक्स और निफ्टी एक मेजरमेंट है जैसा कि हमने आपको बताया कि भारत में दो स्टॉक एक्सचेंज है बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज।

दोस्तों बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज में लगभग 5000 कंपनियां रजिस्टर्ड है और वहीं नेशनल स्टॉक एक्सचेंज में हजार के करीब कंपनियां रजिस्टर्ड है, सेंसेक्स और निफ्टी क्योंकि एक मेजरमेंट है तो यह ओवरऑल एक्सचेंज का हिसाब देती है जैसे कि मुंबई स्टॉक एक्सचेंज सेंसेक्स का इस्तेमाल करता है।

जब सेंसेक्स ऊपर जा रहा है तो इसका मतलब है कि मुंबई स्टॉक एक्सचेंज की कंपनियां ऊपर जा रही है, यह सभी कंपनियों का एवरेज लेकर बनाया गया एक इंडेक्स होता है,

इसी तरीके से निफ़्टी भी नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के बारे में एक मेजरमेंट है, जो हमें बताता है कि निफ्टी में रजिस्टर्ड कंपनियां ऊपर जा रही है या नीचे हैं, सेंसेक्स और निफ्टी के प्राइस दिन-ब-दिन ऊपर नीचे होते ही रहते हैं।

Share Market Chart क्या है और कैसे समझें?

share market chart

दोस्तों जब आप किसी एप्लीकेशन पर डीमेट अकाउंट खुलवाते हैं तो वहां पर आप किसी भी कंपनी का चार्ट देख सकते हैं, इस चार्ट में आपको दिखाया जाता है कि किस समय शेयर का प्राइस क्या चल रहा था।

हालांकि आप बिना डिमैट अकाउंट खुलवाए डायरेक्ट गूगल पर अगर किसी शेयर का प्राइस चेक करेंगे तो वहां भी आपको चार्ट दिखाया जाएगा चार्ट के अंदर अगर आप बेसिक समझना चाहते हैं तो आपके लिए बहुत ही आसान रहेगा।

अगर आपको बहुत ही एडवांस तरीके से एनालिसिस करना हैं तो इसके लिए शेयर मार्केट की एक बहुत ही अच्छी समझ होनी चाहिए शुरुआत में ही चार्ट का एक्सपर्ट बनना बहुत ज्यादा मुश्किल हो जाता है।

शेयर मार्केट चार्ट से जुड़ी कुछ जरूरी terms है, "ओपन प्राइस" "प्रीवियस क्लोज प्राइस" "हाई" और इसी के साथ-साथ "52 वीक हाई" और "52 वीक लो" आइए इनके बारे में विस्तार से चर्चा कर लेते हैं, जब आप इन को अच्छे से समझ जाएंगे तो आपको बेसिक चार्ट एनालिसिस करना आ जाएगा।

Open Price

आपको ऊपर फोटो के अंदर रिलायंस कंपनी का चार्ट दिख रहा है यहां ओपन प्राइज 2250 रुपए दिख रहा है, इसका मतलब है कि जब सुबह 9:15 बजे मार्केट खुली थी तब शेयर का प्राइस ₹2250 था।

Previous Close Price क्या है

दोस्तों प्रीवियस क्लोज प्राइस के नाम से ही आपको समझ आ रहा होगा कि इसका मतलब है कि पिछले दिन मार्केट किस प्राइस पर बंद हुई थी, भारत में लगभग 3:30 बजे शाम को शेयर मार्केट बंद हो जाती है।

उस समय जिस प्राइज पर शेयर था उसे प्रीवियस क्लोज कहा जाता है, प्रीवियस क्लोज का साधारण मतलब है कि पिछले दिन मार्केट किस प्राइस पर बंद हुई थी।

High or Today High क्या है

टुडे हाई का मतलब होता है कि आज जिस समय आप शेयर मार्केट का चार्ट खोल कर देख रहे है, उस समय तक मार्केट कितना हाई गई थी 

वह प्राइस टुडे हाई के अंदर दिखाया जाएगा इसमें दिखाए गए प्राइस का मतलब यह नहीं है कि आज यह मार्केट कहां तक जाएगी, यह सिर्फ अब तक यानी कि जब आप चार्ट देख रहे हैं उस समय तक का हाई प्राइस दिखाया जाता है।

52 Week High & 52 Week Low क्या है

जैसा कि आपको पता है कि 1 साल में 52 सप्ताह होते हैं, तो इसका मतलब है कि पिछले 1 साल में Share का प्राइस कितना नीचे या कितना ऊपर गया है, 52 वीक हाई का मतलब है कि प्राइज अब तक कितना ऊपर जा चुका है, और 52 वीक लो का मतलब है कि अब तक प्राइज कितना नीचे जा चुका है।

Share market se paise kaise kamaye

दोस्तों अब जब आपने शेयर मार्केट को कंपलीटली समझ लिया है, कि यह क्या है और शेयर मार्केट किस तरह से काम करती है, तो आइए अब आपको बता देते हैं कि आप शेयर मार्केट से किस तरह से पैसा कमा सकते हैं, 

क्योंकि जब कोई बंदा शेयर मार्केट सीखता है, तो उसका मोटिव पैसे कमाने का ही होता है और यह सही भी है शेयर मार्केट पैसे से ही चलती है जब नए-नए लोग शेयर मार्केट में आएंगे और अपना पैसा लगाएंगे तो शेयर मार्केट और ज्यादा ग्रो करेगी और इसमें पैसे कमाने की अधिक अपॉर्चुनिटी मिलती रहेगी।

दोस्तों वैसे तो शेयर मार्केट में पैसे कमाने के बहुत से तरीके होते हैं, लेकिन मैं यहां आपसे कुछ मूलभूत तरीकों के बारे में बात करूंगा जैसे कि ट्रेडिंग करके पैसा कमाना, डिविडेंड के जरिए पैसा कमाना आदि तो चलिए शुरू करते हैं।

ट्रेडिंग कैसे करे? Trading se Paise Kaise Kamaye

दोस्तो ट्रेडिंग का साधारण सा मतलब होता है व्यापार करना और अगर व्यापार को भी अधिक परिभाषित करूं तो इसका मतलब होता है किसी चीज को लेना और फिर भेज देना यानि कि खरीदना और बेचना।

 शेयर मार्केट में आप यही तो करते हैं शेर को खरीदते हैं और प्रॉफिट देखते ही भेज देते हैं तो दोस्तों शेयर मार्केट में ट्रेडिंग ही सबसे बड़ा वह तरीका है जिसकी बदौलत शेयर मार्केट टिकी हुई है, और लोग पैसा कमाते हैं।

दोस्तों मान लीजिए कि आपको लगता है कि कोई कंपनी आगे जाकर बहुत ज्यादा ग्रो करने वाली है और फिलहाल उसके शेयर का प्राइस बहुत कम है, तो आप इस समय उस share को खरीद लीजिए और जब उसका प्राइस बड़े तब उस शेयर को बेच देना।

ज्यादातर लोग यही करते हैं लेकिन अगर आपको लगे कि किसी कंपनी का शेयर का प्राइस घटने वाला है, तो भी आप वहां से अच्छा पैसा कमा सकते हैं इसका मतलब है, आपको यहां शॉर्ट सेलिंग करनी होगी आइए देख लेते हैं कि शॉर्ट सेलिंग क्या है।

Short Selling क्या है?

दोस्तों शेयर मार्केट को अधिक तरल बनाने के लिए शार्ट सेल्लिंग का कॉन्सेप्ट लाया गया था, अगर आसान भाषा में समझाऊं कि शॉर्ट सेलिंग क्या है, तो इसका मतलब होता है कि जब किसी को लगता है कि शेयर का प्राइस नीचे जाएगा।

अगर भविष्य में शेयर का प्राइस नीचे जा रहा है, और अभी वह शेयर खरीदे और भविष्य में बेचे तो उसको घाटा होगा लेकिन क्या होगा अगर वह अभी शेयर बेच दे और भविष्य में शेयर को खरीद ले तो उसको फायदा हो सकता है।

बिल्कुल ऐसा ही होता है शॉर्ट सेलिंग में शॉर्ट सेलिंग में आप पहले शेयर बेच दीजिए और जब प्राइज नीचे जाता है तो नीचे के प्राइस पर शेयर खरीद लीजिए 

इतना तो आप भी समझते हैं कि सस्ते में खरीदी हुई चीज जब महंगे में बिकती है तभी पैसे की बचत होती है, और इस प्रकार से हम शॉर्ट सेलिंग से भी अच्छा प्रॉफिट निकाल सकते हैं।

Dividend से पैसे कैसे कमाए?

दोस्तों जब आप किसी कंपनी के शेयर खरीदते हैं और उसे लंबे समय तक अपने पास रखते हैं, तो बीच-बीच में आपको कंपनी तोहफे के रुप में कुछ पैसे देती है, 

जिसे हम डिविडेंड कहते हैं यह पर शेयर के हिसाब से होती है, इसका मतलब होता है कि आपके पास जितने शेर है उतने ही डिविडेंड आपको मिलेंगे मान लीजिए रिलायंस कंपनी कहती है कि उनके शेयर होल्डर्स को हर शेयर का ₹50 डिविडेंड मिलेगा 

तो इसका मतलब हुआ कि अगर किसी के पास ₹100 है तो उसे ₹5000 फ्री मिलेंगे जब कंपनियां डिविडेंट अनाउंस करती है, उस समय भी बहुत से लोग शेयर खरीद लेते हैं सिर्फ डिविडेंड के चक्कर में और जब डिविडेंड मिल जाता है तो शेयर को वापस बेच दिया जाता है।

  • ये भी पढ़े
  • पैसे कमाने वाला apps download करे
  • पैसे कमाने वाला गेम download करे
  • आर्टिकल लिखकर पैसे कैसे कमाए
  • फोटो एडिट करके पैसे कैसे कमाए
  • विडियो एडिट करके पैसे कैसे कमाए

निष्कर्ष

इस आर्टिकल में मैंने आपको बताया कि शेयर मार्केट क्या है? और Share market se paise kaise kamaye और मुझे उम्मीद है कि आपको ये जानकारी पसंद आई होगी।

share market kya hai और शेयर मार्केट से पैसे कैसे कमाए ये जानकारी आपको पसंद आई है तो इसे नीचे दिए गए शेयर बटन द्वारा शेयर जरूर करे और ऐसी ही जानकारियो से जुड़े रहने के लिए आप हमारे telegram channel India Ka Best को भी जरूर जॉइन करे।

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